जनता और सरकार
जनता और सरकार
उठाया था सब ने एक छोटा सा
सपनों का दीवार चुन चुन कर
नन्हे नन्हे कंकड़ों से
थी आस सभी को की एक दिन
वो बनेगा सब के सपनों का महल
अब नफरत सी हो गई है,
सभी कोई उस दीवार से
जिससे बनाना था सपनों का महल
जब पता चला कि इस दीवार के
हर कंकड़ हम पर ही गिरने
लगें हैं।
