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बेज़ुबानशायर 143

Abstract Inspirational Thriller

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बेज़ुबानशायर 143

Abstract Inspirational Thriller

जलधर को घिरते देखा

जलधर को घिरते देखा

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मैंने जलधर को घिरते देखा,

जलधर को ही घेरते देखा ।

जलधर नभ से परिणत हो,

धरा जलधर मिलते देखा ।।


जलधर बना जल की बूँदें, 

बरसा नग वृक्ष लताओं पर ।

जलधर जब धरा पे उतरा,

मिला जलधर खताओं पर ।।


जलधर वाष्प दे जलधर को,

जलधर जलधर को दे जल ।

एक जलधर नभ में होता,

दूजा जलधर होता है थल ।।


नभ में जलधर हवा में उड़े,

दिखने में लगे बहुत थोड़ा।

थल पे जलधर विस्तृत होता,

दिखता कहीं ओर न छोर ।।


जलधर जलधर एक होता,

जलधर हाल जलधर जाने ।

जलधर है प्रकृति संसाधन,

विफल होते विज्ञान पैमाने ।।



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