जज्बात
जज्बात
उड़ चुकी है नींदें, मैं अपने जज्बात लिख रहा हूं
तेरे संग बिताई जो, मैं वो हर बात लिख रहा हूं
कुछ कसमें थी कुछ वादें भी, सब याद आ रहा है
आलम ये है कि, अब सारी सारी रात लिख रहा हूं
एक अरसे से लिख रहा हूं, खत्म ही नहीं हो रहा
बेवफाई का जो तेरी, मैं सारा हिसाब लिख रहा हूं
एक एक पल याद है, मुझे तेरी मेरी कहानी का
शीर्षक ही धोखा है जिसका, वो किताब लिख रहा हूं