STORYMIRROR

अमित प्रेमशंकर

Abstract

4  

अमित प्रेमशंकर

Abstract

जिया जाए ना जाए ना तेरे बिन

जिया जाए ना जाए ना तेरे बिन

1 min
418

जिया जाए ना जाए ना तेरे बिन

एक पल भी ओ साथी रे.

लौट के आ जा तू

साथी रे! प्रिया रे! आ जा रे!

दूर हो क्यूं क्या है खता

जाने जानां इतना बता


दूर हो क्यूं क्या है खता

जाने जानां इतना बता

तेरी कसम मर जाएंगे

हुई जो तू मुझसे खफा...


तेरे सहारे जीवन मेरा

तू ही मेरी सांसों की तार

ये मेरी दिल-ए धड़कन

लौट के आजा तू

साथी रे। प्रिया रे। आ जा रे।

जब तक है धरती गगन

चाहुंगा मैं तुझको सनम


जब तक है धरती गगन

चाहूँगा मैं तुझको सनम

एक नहीं सात नहीं

वादा है ये जन्मों जन्म

रूठ गए जो चांद सितारे

होगी अंधेरी जहां

रे मेरी आस की किरण

लौट के आजा तू

साथी रे। प्रिया रे।आ जा रे।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract