ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
रोये- रोये बीते दिना
रोये- रोये बीती रैना
परदेशी प्रियतम ना आये
बीत गया सावन का महीना,
नैना थक हारे राह तुम्हारी
प्रियतम पाती ना आयी
ना आये प्रियवर अँगना
सूना बीता सखी रे सावन,
दीवाली में दिल जले
सावन अग्नि रिमझिम बूंदें
होली के सब फीके रंग
हार गयी राह निहारें।।
नाम विमल सागर
#शहर बुलन्दशहर
#राज्य उत्तर प्रदेश
तुम मुझे भाती हो
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रपट -रपट रह
वसन लगत तन
कमल लगत तन
खिलत सजत है।
निरख नयन उन
बहत पवन मन
अगन ह्दय उर
बुझति दिखत है।
कमल खिलत उर
मिलत झलक उन
बरसत जल चक्षु
बिछुड़ सजन हैं।
नयन कहत उर
मिलत झलक पिय
झलकत नयन न
कहत कछु न हैं।
मिलत तड़प मन
अम्बर बिजुरी बन
बरसत संग- संग
गिरत अम्बुज में।।
विमल सागर
उत्तर प्रदेश