STORYMIRROR

Sangita Gangwar

Drama

2  

Sangita Gangwar

Drama

ज़िन्दगी

ज़िन्दगी

1 min
782


जैसे बनाया है ना तूने मेरा तमाशा,

मैं भी तुझें एक रोज़ बतलाऊंगी।


जैसे तूने मुँह मोड़ लिया है ना मुझसे,

मैं भी तुझें एक रोज़ तन्हा छोड़ जाऊंगी।


तूने जो कहर ढाया है ना मुझ पे,

मैं भी इसे बखूबी निभाऊंगी।


सामने तेरे 'मौत' बिठाकर ऐ 'ज़िन्दगी',

मैं तुझे तुझसे जीत जाऊंगी।


जैसे बनाया है ना तूने मेरा तमाशा

मैं भी तुझे एक रोज़ बतलाऊंगी।


Rate this content
Log in

More hindi poem from Sangita Gangwar

Similar hindi poem from Drama