STORYMIRROR

Anita Koiri

Abstract

4  

Anita Koiri

Abstract

जिंदगी की रेलयात्रा

जिंदगी की रेलयात्रा

1 min
182

प्रेम की रेलगाड़ी

जब पटरी पर दौड़ती है

छुक-छुक चलती है

सीं - सीं सीटी बजाती

झुमती हुई आगे बढ़ती है


इस रेल पर तुम हो

इस रेल पर मैं भी हूं

इस रेल पर कई रिश्ते भी हैं

धीरे-धीरे रेल चली

झटक मटक कर रेल चली


रेलगाड़ी अपने जीवन की 

चलती इस पटरी पर है

रेलगाड़ी अपने प्यार की

इसी तरह आगे बढ़ती है

इसी तरह हम बढ़ते रहे

छुक-छुक कर चलते रहे


एक दिन यह रेलगाड़ी 

अपने गंतव्य तक पहुँचेगी

कई और रिश्ते जुड़ जाएंगे

कई और रिश्ते पीछे छूट जाएंगे

एक दिन तुम और मैं भी 

इस रेल यात्रा से आजाद हो जाएंगे।

,


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract