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Aarna Cute Dance

Abstract

4.9  

Aarna Cute Dance

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ज़िंदगी क़ी आपाधापी

ज़िंदगी क़ी आपाधापी

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ज़िन्दगी क़ी आपाधापी में 

ज़िंदगी जीना ही भूल गये !

पड़ोसी की खूसी देख़ कर,

खुस होना ही भूल गये !


थोडे और की चाह में 

इस क़दर गुम हूवे की

खुद के लहू को पानी क़र गये ?


ओफ़िस जाने की जल्दी इतनी क़ी

राह में पड़ा तड़पता ,ख़ून से लटपट,

हर एक साँसो से लड़ता, इंसा को भी

उसिके के हाल पे छोड़ गये !


थोड़ा जल्दी और थोड़े और की चाह में ,

इंसानियत को ही मार गये !


एक़ बार न सोचा चौराहे पे बैठें 

हाथ में कटोरी थामें, उस बचे, 

उस भूखे के बारे में ?


जिनके पास ईक वक़्त का खाना नसीब नही

उसकी मदत तो दूर,

उसके हाल का मखौल बनाने में ही गुम गये !


थोड़े और की चाह में,

खुद के बूढ़े माँ बाप को ही भूल गये !


ज़िंदगी की आपाधापी में,

खुद को खुद से मिलना ही भूल गये !


अब तो नींद से जागो प्यारे, 

थोड़ी सी खूसियाँ समेटो अपने दामन में 


जो है उसमें खुश हो लो

और ठोड़ी सी खूसियाँ विखेरों प्यारे


फिर ये न कहना खुद से खुदाई कि लिये

वक़्त लेना ही भूल गये !


ज़िंदगी की आपाधापी में 

ज़िन्दगी जीना ही भूल गये !


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