जिंदगी खेल नहीं
जिंदगी खेल नहीं
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शामिल न करो ऐसा कुछ भोजन में,
कि विकार उत्तपन्न हो जाएं तन में।
शब्दों के ऐसे तीर न चलाओ कि,
आग सी लग जाए तन बदन में।
जुबां पे ऐसी बात न लाओ कि,
उलझ जाओ किसी उलझन में।
दिल इतना न लगाओ किसी से,
कि जिंदगी गुजर जाए तड़पन में।
जिंदगी खेल नहीं,ये इक व्यवहारिकता है,
सूझ बूझ से जो इसे निभाते,सुखी रहते वो जीवन में।