जिंदगी का सफर
जिंदगी का सफर
ज़िन्दगी का है ये अजीब सफर
अलग अलग रंग दिखाती ये ता उम्र
जब पैदा हुए तो माँ की गोद के लिए रोते हैं
और बुढ़ापे मे माँ बेटे के मोह में तड़पती है।
जवानी दिखाती कुछ रंगीन पल
जिसमे किसी को नौकरी का शौक
तो किसी की घर बसाने की उमंग
जिंदगी की दौड़ भाग में।
कही छूट ना जाये कोई हसीन पल
ऐ मुसाफिर ना जाने कब मिले तुझे ये पल
बस जीता जा बस जीता जा
ना फ़िक्र कर ना तू संभल।
ना जाने कब मिल जाये तू फिर से इस मिट्टी में
पर इस मिट्टी मे मिलने से पहले
ओढ़ ले इस मिट्टी की खुशबू और
जीता जा ये सफर।
