जिंदगी का फलसफा
जिंदगी का फलसफा
जिंदगी का फलसफा
अब तक समझ ना आया
समझा था जिनको अपना
सब मतलबी निकले
सगे वो हमारे नहीं, पैसे के सगे निकले
अपना शरीर जो सबसे अधिक सगा था
सबसे बड़ा वो ही बेवफ़ा निकला
आगे निकलने की हमने
जब जब भी की कोशिश
वक़्त ने हमारा, कभी साथ ना दिया
ठोकरें जब जब भी जिंदगी में लगी हमको
संभलते संभलते गिरे, गिर कर फिर संभल गए
कभी कभी दिन बिताने, लगे मुश्किल
कभी पता ही ना चला, वर्षों गुज़र गए
कुछ ख्वाहिशें है अधूरी, बस हो जाएं वो पूरी
जिंदगी को जिंदादिली से जीते हुए
फिर चला चली करें