जिंदगी बनी प्रेरणा
जिंदगी बनी प्रेरणा
घुट घुट कर जिंदगी में जीना छोड़ अब दिया मैंने,
अपनी कलम से अहसासों को लिखना शुरू किया मैंने।
बहुत रूलाता रहा मुझे लोगों को दोगलापन जहान में,
छोड़ दिया है रोना अब तो मुस्कराना सीख लिया मैंने।
सौ बार गिरा सौ बार उठा, हवाओं का रुख बदला,
हिम्मत नहीं हारी बन दिया जलना सीख लिया मैंने।
लहरों से डर गया था मैं भी समंदर में पाँव रखते ही,
डगमगाती कश्तियाँ से हो प्रेरित चलना सीख लिया मैने।
लक्ष्य जीवन का पाना है गहरी अंधेरी रात कितनी भी आए,
लक्ष्य साध लिया जीवन का अंधेरों में जीना सीख लिया मैंने ।।
