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Shubhendu Maurya

Classics

4  

Shubhendu Maurya

Classics

जिंदा रखना

जिंदा रखना

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अपने भीतर गांव जिंदा रखना।

नीम, पीपल, बरगद की

छांव जिंदा रखना।


अपने भीतर नानियां जिंदा

रखना।

बचपन की कहानियां जिंदा

रखना। 


नए कपड़े में पुराना नोट

जिंदा रखना।

साइंस की किताब छुपा

के पढ़ते थे वो 'लोटपोट'

जिंदा रखना।


छोटे शहर की सब्जीमंडी जिंदा रखना।

तुम्हारे घर से उसके घर को मिलाने वाली

पगडंडी जिंदा रखना।


छुट्टी की चहक जिंदा रखना।

मिट्टी की महक जिंदा रखना।


क्रिकेट का चौका जिंदा रखना।

छुपके मिले थे पहली बार, वो मौका जिंदा 

रखना। 


जो पूरी न हो सकी वो कहानी जिंदा रखना।

कभी जानबूझकर की थी वो नादानी जिंदा

रखना।


हो सके तो पहला प्यार जिंदा रखना।

जिससे बातचीत बंद है वो यार जिंदा रखना।

रखना।


कॉलेज कैंटीन और फ्रेंडशिप बैंड जिंदा रखना।

रखना।

उसकी साइकल के पास अपनी साइकल डरोगे नहीं।

लगाते थे,

और इतना कुछ जिंदा रहा,

वो स्टैंड जिंदा रखना।


मम्मियां सुन के आंखें बंद करती थीं, वो

पूजा वाला शंख जिंदा रखना।

और पन्नों में दबाकर रखते थे, वो मोर पंख

जिंदा रखना।


कविताओं ने जो सिखाया वो इल्म जिंदा

रखना।

संडे को जो आती थी, वो चार बजे वाली

फिल्म जिंदा रखना।


रो के जो गुजरी है, वो रातें जिंदा रखना।

घर से भागते वक्त मां ने कही थी, वो बातें

जिंदा रखना।


प्रेमिका के चेहरे की चमक जिंदा रखना।

गर कभी दुश्मन ने खिलाई हो, वो नमक

जिंदा रखना।


बुजुर्गों की दुआओं का उजाला जिंदा

रखना।

दुआओं का उजाला रहेगा तो अंधेरे से

डरोगे नहीं।

और इतना कुछ जिंदा रहा,

तो मर कर भी मरोगे नहीं। 


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