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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

4.5  

Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

"जीवन-संग्राम"

"जीवन-संग्राम"

2 mins
305


जीवन संग्राम के लिये हो जा तू तैयार

छोड़ आलस्य,पुरुषार्थ की चला तलवार

कर मान मर्दन,अब तू हर समस्या का,

जीवन मे लक्ष्य के प्रति हो जा,वफादार


कोई तुझे मंजिल पाने से रोक न सकता,

कदमो को न रोक,चलता चल लगातार

हर अपने सपने को तू कर,अब साकार

जीवन संग्राम के लिये हो जा तू तैयार


बहुत समय तूने सोने में गंवा दिया है,

अब तो जाग जा भोर का हुआ प्रकाश

पंछी जागे,जागे मुर्गे तू भी जाग इंसान

बहुत बसा रखा है,तूने भीतर अंधकार


जला दे,भीतर तू एक चराग यूँ लगातार

जिसमे दृढ़इच्छाशक्ति तेल का हो वास

बाती हो साहस की अटल पर्वताकार

भीतर की रुह से रोशनी निकले अपार


जीवन संग्राम के लिये हो जा तैयार

लोगो के तानों को बना तू हथियार

जो कहे तुझसे यह नही हो पायेगा,

उसे अपनी मेहनत से दे,दे तू जवाब


आज आसमाँ के सितारों को झुका दे,

अपनी मेहनत का ला तू वो पारावार

हर जग-लहर को दिखे तेरा चमत्कार

दरिया क्या,फ़लक को पहना दे हार


जीवन संग्राम के लिये हो जा तू तैयार

छोड़ आलस्य,पुरुषार्थ की चला तलवार

उतर जीवन-समर में मचा दे,हाहाकार

अर्जुन तीर,कृष्ण सुदर्शन से कर वार


जीवन मे तुझे जय मिले या पराजय

पर तू निडरता से कर,झूठ पर प्रहार

जीवन-सँघर्ष में ये मृत्यु भी डर उठे,

आज कर साखी,ऐसा भीषण संहार


जीवन संग्राम में बना,खुद को वो धार

मिटे असत्य भीतर से,बन वो करतार

मरकर न मरे,कर ऐसे कर्म अविष्कार

अच्छे कर्म से मिटा दे,हर अन्तः विकार


जीवन संग्राम के लिये हो जा तू तैयार

छोड़ आलस्य,चला पुरुषार्थ की तलवार

जीवन हर सफलता पर तेरा अधिकार

बशर्ते तू आत्मशक्ति काम ले औजार।


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