जीवन की राह
जीवन की राह
अपने बचपन की याद है यहीं
सब अपने थे कोई पराया नहीं I
मिट्टी पर खिलौने पर
धूल भरे बिछौने पर
कोना कोना घर का
डांट खाने के डर का
इस मन को फिर है चाह
हाय ये जीवन की राह
युवा मन की अल्हड़ कदम
हर चमक की ओर भागे हम
हर सुंदर को पाने के लिए
हर कहा को जिद कर किए
हर आकर्षण और ये दुनिया
छूना चाहा हर एक ऊंचाईया
गलतीयों का अब तक आगाह
हाय ये जीवन की राह
दाम्पत्य का वो हसीन एहसास
दो जिस्म जान पर एकही सांस
प्यार और तकरार में जीवन
आकार लिया जो अंतर्मन
हर खुशी गम में हमराही
साथ चले हर आवाजाही
आसान हो चला हर
सवाल चाह अनचाह
हसीन ये जीवन की राह।