STORYMIRROR

Bhoomika Sharma

Abstract

4.7  

Bhoomika Sharma

Abstract

जीवन की राह

जीवन की राह

1 min
294


जीवन की राह पर चलते चलते 

राही पथ भूल जाता है। 

खुशियों से तो खुशी पाता है 

पर गम से ऊब जाता है। 


जीवन की राह पर चलते चलते 

ऐसा गम वह पाता है 

जहाँ पर उसके अपने भी 

उसका साथ छोड़ जाते हैं। <

/p>


जीवन की राह पर चलते चलते 

राही तन्हा रह जाता है 

कोई साथी नहीं बचता 

जो उसे संभाल पाता है। 


जीवन की राह पर चलते चलते

राही टूट जाता है 

जीवन मुश्किल है मगर

क्या करे जीने तो पड़ता है। 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract