जीवन की डोर
जीवन की डोर
जीवन के रंग, कुछ हैं अजब
कोई जिया, कोई मरा
साथ अपने कुछ न ले गया
सब रह गया, धरा का धरा।
मैं राजा हूँ, मैं रंक हूँ
कोई खुश है तो कोई दुखी
इससे जो ऊपर उठ गया
वो ही तो है सबसे सुखी।
कोई सुन्दर, कोई कुरूप है
कोई हंस रहा, कोई रो रहा
चिंता जो न करे कोई
वो चादर तान के सो रहा।
काम न करे, वो सुस्त है
कोई स्वाभाव से ही चुस्त है
भला करे जो दूसरों का
मन का वो तंदरुस्त है।
कोई दोस्त है, कोई दुश्मन है
कोई तेरा अपना प्यार है
कोई साथ न दे तेरा कभी
कोई मरने को तैयार है।
कोई सच्चा है, कोई झूठा है
सब करम अपना कर रहे
मुक्ति मिले बस उसको ही
जो सत्य पर अटल रहे।
परिवार किसी का बहुत बड़ा
कोई जन्म से ही अनाथ है
रिश्ते नाते हैं एक भ्रम
जिसका खुदा वो सनाथ है।
डोर अपनी उसके हाथ में
पल पल वो हमको झेलता
कठपुतलियां हम रंग मंच की
वो हम सब से है खेलता।
