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Shweta Sharma

Abstract

3.6  

Shweta Sharma

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जीवन के आवरण

जीवन के आवरण

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369


जल, प्रकृति और पर्यावरण,

ये है हमारे जीवन के आवरण,


इनकी गोद में ही हमारी ज़िन्दगी पल रही है,

इन्हीं के सहारे हमारी ज़िन्दगी निकल रही है,


इनके होते हुए ही हम सुरक्षित है, ज़िंदा है,

फिर भी ना जाने इंसान क्यों नहीं शर्मिंदा है,


कर रहा है खिलवाड़ इंसान इनके प्यार

और ममता के साथ, कद्र नहीं करता है वो इनकी ;खुद को समझ रहा है भगवान,


अन्याय होता रहता है, हमेशा प्रकृति के साथ,

तभी मनुष्य पर कहर बरसता है प्रकृति के हाथ,

इंसान फिर भी समझ नहीं पा रहा,

है वो मूर्ख नादान,


भूल गया इंसान, की

जल, प्रकृति और पर्यावरण के

वजह से ही है इंसान की पहचान,

वक़्त रहते सुधारों अपनी गलतियों को हे इंसान,

नहीं तो भुगतना पड़ेगा बहुत बड़ा अंजाम।


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