जीवन जी रहा हूँ मैं
जीवन जी रहा हूँ मैं
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तीर कमान का खेल
लक्ष्य पर नज़र
तीर चले अनगिनत
लक्ष्य को छू नीचे गीरे
कुछ पहुँचे
कुछ पहले ही
दम थे तोड़ गए
तब भी सोनिया
लक्ष्य पर नज़र
कमान सम्भाले
तीर निशाने पर साधे
खड़ा हूँ मैं
डटा हूँ मैं
लक्ष्य भेदने की चाहत लिए
खड़ा हूँ मैं
कितने दिन बीते
कितने मौसम बदले
फिर भी डगमगाया नहीं हूँ मैं
हारा नहीं हूँ मैं
थका नहीं हूँ मैं
पहाड़ सा डटा हूँ मैं
बस एसे ही जीवन जी रहा हूँ मैं।।।।