जीवन है अनमोल
जीवन है अनमोल


जीवन है अनमोल तो,
क्या लगाओगे तुम मोल।
बिकता है सब कुछ,
पर मिलता नहीं जीवन।
इसलिए संजय कहता है।
क्यों व्यर्थ गंवा रहे हो,
यह मानव जीवन।।
मिला है बहुत प्यार,
अपनों से हमें यार।
फिर क्यो किसी का,
हम दिल दुखाये यहां।
हँसी खुशी के संग,
जीवन को जीये हम।
हिल मिलकर सब रहे,
सयुंक्त रूप से हम।।
क्या छोटा क्या बड़ा क्यो,
इस चक्कर में पड़ते हो।
और भेदभाव अपनों में,
तुम क्यों करते हो?
मुश्किल से मिला है,
तुम को ये मानव जीवन।
तो मिलजुल कर तुम,
जी लो, ये मानव जीवन।।