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Neeraj Mishra

Inspirational

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Neeraj Mishra

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जीवन और तप

जीवन और तप

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जीवन घने पेड़ों का एक जंगल,

कहीं विघ्न है तो कहीं जल थल।

लक्ष्य साध और कर हलचल,

खुद राह बना दिखा बाहुबल।


जो संघर्ष में भी आनन्द पाते हैं,

और निराश नहीं रुक जाते हैं।

तप से अपनी राह बनाते हैं,

वह जीवन में अमृत पाते हैं।


जो रेगिस्तान से तप कर आया,

होंठ फटे है और कण्ठ सुखाया।

छाँव में रहना उसे ही है भाया,

मेहनत से जिसने इसे पाया।


है पहले से ही वस्तु सुखदायी,

मन भावन परन्तु है अस्थायी।

पर स्वाद वही पाये अधिकायी,

जो भोग से पहले मूल्य चुकायी।


चिंता छोड़ करते अपना काम,

यह संसार ही जैसे तपोधाम।

नहीं गँवाते हैं जीवन तमाम,

वही लाते नित्य नये परिणाम।


अन्त में हम उतना ही पाते हैं,

जितनी उसमें पूंजी लगाते हैं।

जो काँटों की चुभन सह पाते हैं

वो फूलों से रस चुरा ले जाते हैं।।


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