जीवन और मौत
जीवन और मौत


हर पल हम नए जनम लेते हैं
फिर हर पल हम मरते भी हैं
और ऐसा क्रिया
हममें होता रहता है
जिसे हम सिर्फ जानते नहीं
वल्कि अहसास भी करते हैं
असल में मेरे यार !
जब हम कविता लिखते हैं
प्यार में विभोर हो कर
अपने आपको भूल जाते हैं
फिर जब हम घूमते हैं
इस धरती पर यहां वहां सारे जहां
देखने को पल पल परिवर्तित
प्रकृति की रंग रूप
मन चाहा काम में मगन होते हैं
गुनगुनाता रहता है दिल हमारे
तब हम सचमुच जिंदा होते हैं यार ,!
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पर जब हमें मजबूरन कुछ
करना पड़ता है
अपनी इच्छा के विरोध जाते हुए
कड़ी धूप में रेगिस्तान में
सफर करना जैसा लगता है हमें
असहाय बेबस ,लाचार ....
तब हम कहां जिंदा होते हैं यार ?
मौत का अहसास होता है
सच मेरे यार ,अपनी रूह की
विरोध में जाकर कुछ करना
मर जाने के बराबर होता है
और जिसे हमें भुगतना पड़ता है
ऐसे में खुद को जिंदा रखने केलिए
हर पल कोशिश करते रहते हैं हम
कविता लिखकर
या कविता बन कर
चलते हैं हम प्यार की गीत गुनगुनाते हुए।