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Avinash Pankaj

Abstract

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Avinash Pankaj

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जीवन और मैं

जीवन और मैं

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कशमकश है जिंदगी की साथ तेरे चल रहा हूँ

जिंदगी ख्वाहिशों में साथ तेरे मर रहा हूँ

तू मजे लुटे जहान के

इसलिये मैं तप रहा हूँ 


“तू क्यूँ तपता धुप में है

मैं ना तुमसे कह रही हूँ

छोड़ दे उन्मुक्त मुझको, मैं हवा सी बह रही हूँ

मैं हूँ शक्ति फिर भला क्यूँ शक्ति मुझको देना चाहे ?


मैं हूँ करुणा, मैं हूँ ममता

मोह मैं हूँ, मैं हूँ माया

फिर भला आसक्त हो कर, तू मुझे क्यूँ बांधता है

तू चले गर साथ मेरे पल दो पल का सुख मैं दे दूँ


पर तू चाहे रोकना तो मैं भला कैसे रुकूंगी ?”


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