मेरी रचना मेरे संदर्भ
मेरी रचना मेरे संदर्भ
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नई रचना नए संगीत
मेरे हो नहीं सकते
पुराने द्वंद से निर्मूल
छंद, मेरे हो नहीं सकते
मै लिखता हूँ वही
सदियों से लिखा है जो कवि ने
नई भाषा नहीं मेरी
अनिर्विच भाव मेरे है
सुनो समझो कि ना समझो
ये सब अधिकार तेरे है
नहीं मंथन ये मेरा है
ना हीं चिंतन ये मेरा
है किन्तु भाव मेरे ये
और उद्वेग मेरे है
सभी पंक्ति का संबोधन
हरेक रचना का उद्बोधन
कभी शायद तुम्हारे है
कभी शायद हमारे है