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Arya Vijay Saxena

Abstract Fantasy

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Arya Vijay Saxena

Abstract Fantasy

जीने दे ए जिंदगी-2

जीने दे ए जिंदगी-2

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हसीं अधूरे उस ख्वाब को..

शिद्दत  से हम  सजाए बैठे है..!!

लौटकर आएगी खुशियां वो.. 

उम्मीद यही बस लगाए बैठे है..!!


लूटा सबने, अपना जानकर.. 

अपना सब, अब लुटाए बैठे है..!! 

बनती नहीं मुक़द्दर से अपनी.. 

लकीरे हाथों की, मिटाए बैठे है..!!


होगी मेहर, कभी तो रब की..

आस यही, बस लगाए बैठे है..!!

हसरतें कुछ, बाकी है अभी..

इसलिए खुद को जगाए बैठे है..!!


काफ़िर सी हो गई जिंदगी तू..

फिर भी यारी, हम निभाए बैठे है.!!

जानता हूँ मैं, कि तू बेवफ़ा है..

फिर भी सपने तेरे दिखाए बैठे है.!!


माना थोड़े कच्चे है तजुर्बे से.. 

उस्ताद तुझे अपना बनाए बैठे है.!! 

कितना भी अब आजमा ले तू.. 

हर शह में खुद को पकाए बैठे है.!!


आएगी तू तमाम हंसी लेकर..

नजरें राह में तेरी, गड़ाए बैठे है..!!

है जिद बस इक तुझे पाने की..

जिद ये खुदा से भी लड़ाए बैठे है.!!



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