जी करता है...
जी करता है...
जी करता है फिर मैं बच्ची बन जाऊं।
बेपरवाह इतराऊं, इठलाऊं,
बेधड़क यूं ही हंसती जाऊं,
बेबाक सभी बातें कह जाऊं,
क्या पा लिया गंभीर होकर,
क्यों ना फिर मैं चंचल हो जाऊं।
जी करता है .......
उड़ती तितलियों को निहारूं,
मछलियों को दाना खिलाऊं,
बाग बगीचों में घूमकर आऊं,
देख लिया देश विदेश घूमकर,
काश फिर मैं गांव में बस जाऊं।
जी करता है........
पापा की साइकिल पर घूमूं,
मम्मी से दो चोटी बनवाऊं,
भैया संग खूब बतियाऊं,
बहनों से लाड लड़ाऊं,
देख लिया सबसे दूर रहकर,
अब फिर से सब संग रम जाऊं।
जी करता है ...…....
उलझनों में सही राह दिखाऊं,
दुखों में मीठी मुस्कान बन जाऊं,
हर मर्ज की दवा बन जाऊं,
जी सकूं "लम्हे ज़िंदगी के" बेफिकर,
सबकी आंखों का तारा बन जाऊं।
जी करता है मैं फिर से बच्ची बन जाऊं।