झूठी देशभक्ति
झूठी देशभक्ति
कितने शान से आज लोगों के
हाथों में तिरंगा खड़ा होगा,
न जाने कल किस राह किस
मोड़ पर यूं ही पड़ा होगा...
साल भर बाद फिर यही
तिरंगे शान से लहराए जाएंगे,
पूरे एक साल के अंतराल के बाद
फिर से राष्ट्रीय गीत दोहराए जाएंगे...
आज तो खूब लगाए नारे तुमने
देशभक्ति के,अगले बरस फिर
ज़ोर शोर से लगाए जाएंगी,
आज तो बीत गया तुम्हारा
स्वतंत्रता दिवस, कल फिर वही
चोरी लूटपाट और बलात्कार की
ख़बरें आएंगी..
आज तो खूब जय जयकार किया
तुमने भारत माता का, कल फिर
ये सब भूलकर इसे मैला कर
आगे बढ़ जाओगे,
आज तो खूब झांकियां निकाली तुमने
"बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ"
कल फिर दरिद्रता कि हद पार कर
नया इतिहास गढ़ जाओगे...
आज तो खूब चिल्ला चिल्ला कर
'जन गण मन ' गाए होगे ना,
ना जाने कल कितने जनों का
फिर संहार होगा,
अरे कितनों में तो आज ही वो देशप्रेम
की ज्वाला फूटी होगी कल फिर
आज़ादी आज़ादी बोल दुष्प्रचार होगा,
आज तो खूब चर्चे हुए होंगे शराब बंदी
और घूसखोरी पर, कल फिर एक एक
वोट को शराब और नोट बंटवाए जाएंगे...
आज तो खूब राजनीति हुई होगी
लड़कियों को लेकर, कल फिर खुले आम
उनके इज़्ज़त लुटाए जाएंगे..
आज तो तिरंगे के तीनों रंगों का
मतलब पता ही चला होगा तुम्हें,
कल से फिर तुम्हारे लिए ये मात्र
रंग ही रह जाएंगे,
आज तो जनता की हर मांग
पूरी करने का वादा कर ही दिया
होगा तुमने, कल से फिर न जाने
कितनों के अरमान बस यूं ही
बह जाएंगे..
देशहित में क्या सही है क्या नहीं
इस पर भी आज खूब गरमा गरमी
हुई होगी, कल फिर बीच सड़क पर
पान थूक आगे बढ़ जाएंगे,
आज तो कितने गरीबों का पेट
भरा होगा ना सबने, कल फिर ऐसे ही
कितने मासूमों के पेट पर गाड़ी
लेकर चढ़ जाएंगे...
आज तो सबने मिलकर परेड और
झांकियां देखी होंगी ना,
कल फिर गोरे काले ऊँचे नीचे में
ये देश बट कर रह जाएगा,
आज तो मेरा देश महान पुकारा होगा
जोरों से कई लोगों ने, कल फिर ये
देश चंद दिलों में सिमट कर रह जाएगा....।
