झूठी बातें
झूठी बातें
जिस्मों के बाज़ार में
रूह का सौदागर ढूढँने चला था मैं,
जाहान इज़्जत का प्यार खोज रहा था
वहाँ तो लोग अपना ज़मीर बेचे बैठै हैं,
कहने को केहते हैं दिल से प्यार किया है
मगर जनाब ये महज़ फ़साने के तरीके हैं,
हांँ में हाँ जो तुम रखोगे
तो तुम से प्यारा कोई नहीं
खिलाफ़ जो तुम बोल पड़ो
तो शक्ल देखना तक गवारा नहीं,
ये कैसी मोहब्बत है भला
जो बस एक ओर की ज़िद पर टिकी है,
इश्क यूँ ही बदनाम है बाज़ार में
असल में तो इश्क के नाम पर
झूठी प्यारी बातें बिकी हैं।
