जहां तुम हो...
जहां तुम हो...
इश्क और इबादत वहीं है जहां तुम हो ।
मेरा नाम वहीं तक है जहां तुम हो ।
और प्यार तो हर कोई करता है मगर ,
प्यार की फरमाइश वही तक है जहां तुम हो ।
चलो एकबार दिल मिलाकर देखते हैं ।
कि चलो फिर एकबार दिल मिलाकर देखते हैं ,
क्या पता उस मंज़िल तक पहुँच जाए जहां तुम हो ।
और इस ज़िंदगी ने दगा बहुत दी हैं मुझे ।
इस ज़िंदगी ने दगा बहुत दी है मुझे ;
मगर सुकून तो वहीं तक है जहां तुम हो ।।