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Vijay Kumar parashar "साखी"

Abstract

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Vijay Kumar parashar "साखी"

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जब-जब बारिश होती है

जब-जब बारिश होती है

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जब-जब बारिश होती है

हृदय में प्रसन्नता होती है


गम सारे दूर हो जाते हैं

जख़्म सारे भर जाते हैं


बारिश वो दवा होती है

पत्थर बन जाते मोती हैं


जब-जब बारिश होती है

हृदय में प्रसन्नता होती है


कृषक की खुशी न पूछो,

जिंदगी नव-नूतन होती है


वर्षा से गंदगी दूर होती है

चहुँओर हरियाली होती है


जब-जब बारिश होती है

हृदय में प्रसन्नता होती है


ख़ास मन की गंदगी दूर हो,

फिर तो कितना अच्छा हो,


जब मन गंदगी दूर होती है

बारिश ओर अच्छी होती है


जब-जब बारिश होती है

हृदय में प्रसन्नता होती है


बारिश तुझे रब का वास्ता

तोड़ दे,अधर्मियों का रास्ता


बारिश से जब बाढ़ होती है

बेईमानों की आंख रोती है


जब-जब बारिश होती है

हृदय में प्रसन्नता होती है


बारिश जरा वहां रहम कर,

जिनकी तू जिंदगी होती है


कृषक ओर तू कृपा कर,

तू उनकी ज़ायदाद होती है


जब-जब बारिश होती है

हृदय में प्रसन्नता होती है


बारिश बड़ी हँसीं होती है

जब कल् आवाज होती है


वर्षा मां सा ध्यान रखती है

यह खुदा का दिया मोती है


जब-जब बारिश होती है

हृदय में प्रसन्नता होती है।



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