जानवर और इनसान
जानवर और इनसान
जानवर होके भी करते हे वफा,
इनसान होते हुए भी करते हैं बेवफा,
जानवर ना जानते हुए भी सब समज जाते हें,
इनसान सब जानते हुए भी नासमझ बन ही जाते हें
जानवर दूरसे भी अपनों को पहचान लेते हैं,
इनसान अपनों को पहचानते हुए भी,
नजर अंदाज कर ही देते हैं,
जानवर किये हुए वादे को निभाते हैं,
इनसान बड़ी आसानी से किये हुए वादे को तोड़ते हैं
जानवरों की इस सोच पर हुए हम फिदा,
इन्सानों ने इसी सोच को कर दिया विदा l