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मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

Romance

4  

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

Romance

जागो भारत वीर

जागो भारत वीर

1 min
246


तज दो अवगुण 

मिटा दो कलेश 

मत जाओ दनुजता के निकट 

रम जाओ मनुजता में...


काम, क्रोध, लोभादि में न फंसो 

दिव्य गुणों को करो धारण 

जीवन सफल बनाओ 

चुस्ती, फुर्ती, उत्कट क्रियाशीलता अपनाओ।


प्रदूषण इतना फैला कि धरा ऊब रही 

जग में त्राहिमाम-त्राहिमाम की स्थिति बन आई

जग-जीवन में घोर निराशा छाई 

प्रकृति रक्षक बन धरा बचाओ।


स्वार्थ सिद्धि में संसार पगलाया 

मानवता खतरे में,

पुनः विश्व युद्ध की करी तैयारी 

होगा विनाश, महाविनाश !


भारत विश्व गुरु बन राह दिखाओ 

धरा को स्वर्ग बनाओ 

संसार निहारे तुम्हारी ओर 

जागो भारत वीर ! अब तुम्हें ही करनी है सुहानी भोर...


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