इश्क़ ग़ुलाबी
इश्क़ ग़ुलाबी
उसका चेहरा देखके मुझे करार आ जाए
जी भरके देख ले वो मुझे ख़ुमार छा जाए
उसकी मासूमियत में मय है या मयखाना
इक बार नहीं उसपे सौ बार प्यार आ जाए
गुलाबी रुख़सार उसपे लबों पे सुर्खियाँ भी
फिर कैसे न यूँ ही उसपे इख्तियार आ जाए
है पाक मुहब्बत रखते दिल में उसके लिए
बेवजह ही अदाओं पे ऐतबार आ जाए