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अनिल कुमार निश्छल

Romance

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अनिल कुमार निश्छल

Romance

कुछ तो है

कुछ तो है

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देखते ही उसे क्या होता है हमें,

थम जाते हैं कदम कुछ तो है।


हँसी भी है उसकी क्या कमाल,

कत्ल करती है हमें कुछ तो है।


आफ़ताब भी देख उसे शर्माए

जाऊँ उसपे निहाल कुछ तो है


क्या ग़जब नक्कासी की रब ने

दिल है मेरा निढाल कुछ तो है


कहने हैं सारे दिल के अरमां

उन्हें देख चुप ही हूँ कुछ तो है


ये जो है सब उस-सा ही हसीं है

करम सब उसका है कुछ तो है



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