इश्क़
इश्क़
इश्क़ का नशा
बेहिसाब उमड़ रहा है
मुझ पे तेरे ख्यालों का जोर चल रहा है
मुझे चूमती तेरे होंठ
साँसो को छेड़ रही हैं
तेरे चुम्बन से
तन की गरमाहट तप रही है
मेरे सीने में धड़कता दिल
बेकाबू सी हदें तोड़ रही हैं ।।
इश्क़ का नशा
बेहिसाब उमड़ रहा है
मुझ पे तेरे ख्यालों का जोर चल रहा है
मुझे चूमती तेरे होंठ
साँसो को छेड़ रही हैं
तेरे चुम्बन से
तन की गरमाहट तप रही है
मेरे सीने में धड़कता दिल
बेकाबू सी हदें तोड़ रही हैं ।।