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Deepak Dixit

Abstract

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Deepak Dixit

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इश्क

इश्क

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पहले

ये इश्क क्या हुआ,  नज़रें बदल गयी

आँखों के सामने का नज़ारा बदल गया


गिनती वही रही,      पोथी वही रही

सारा हिसाब किताब हमारा बदल गया


हमने तो कोई बात अभी की ही न थी 

क्यों एकदम मिज़ाज़ तुम्हारा बदल गया ?


हरकत वही रही तेरे जिस्म की मगर

ऐसा नशा चढ़ा कि इशारा बदल गया


दुनिया वही रही,     मौसम वही रहे

ये दिल जो है इस गरीब का सारा बदल गया 

 अब -

ऐसी चपत लगाई किस्मत कि मार ने

वो खुशनुमा वक्त   सारा बदल गया


कुछ तुम बदल गए हो कुछ हम बदल गए

वो मौत से भिड़ने का इरादा बदल गया


क्या दोष दें किसी को ,बुढ़ापे की मार का

अब ज़िंदगी जीने का सहारा बदल गया!


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