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Deepak Dixit

Others

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Deepak Dixit

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आज में सठियाने लगा हूँ (अपने साठवें जन्मदिन पर)

आज में सठियाने लगा हूँ (अपने साठवें जन्मदिन पर)

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इस बार के जन्म दिन पर

और दिलकश मैं नजर आने लगा हूँ

सीनियर सिटीजन क्लब मैं

एंट्री अब पाने चला हूँ

आज मैं सठियाने लगा हूँ


साठ बसंत देख लिए

साथ मैं और कितने ही मौसम भी रंग भी

मौत के नजदीक अब और मैं आने लगा हूँ

आज मैं सठियाने लगा हूँ


घड़ी कलेण्डर के बंधनों से आज़ाद होकर

मस्त होकर जीना सीख लिया है

वक्त से ऊपर कही जाने लगा हूँ

आज मैं सठियाने लगा हूँ


शायरी का शौक पाल लिया हमने अब

सब समझते हैं कि मैं बडबडाने लगा हूँ

रात दिन कविता ग़ज़ल गाने लगा हूँ

आज मैं सठियाने लगा हूँ


खुद को नहीं है होश

क्या कहे जा रहा हूँ मैं बेखबर

बिन पिये ही आज लड़खड़ाने लगा हूँ

ये किधर मैं अब जाने लगा हूँ

आज मैं सठियाने लगा हूँ।


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