इश्क़ बर्बादी की
इश्क़ बर्बादी की
जिसने कभी साथ निभाने का किया था वायदा
आज उसने बदल डाला अपना इरादा।
रोता था वो कभी, यह सोचकर
की कही छोड़ ना जाए हम
अब कैसे वो मेरा दिल तोड़के, दे दिया मुझे यह गम।
पूछता था वो कभी,
"कही चले तो ना जाओगे तुम ?
बता देना, अगर करू गलती कभी
पर यू गुस्से में हाथ ना कभी छोड़ ना तुम "
हमने अब ऐसा क्या गलती कर डाला,
की हमें वो छोड़ के चला ?
कहा था हमने भी, तुम ना कभी छोड़ ना मेरा साथ
उसने कहा, "मुश्किलें तो आएगी जिंदगी में, प
र हम दोनो हमेशा रहेंगे साथ साथ। "
अब सोचके भी हसती हूं मैं,
जब याद आती मुझे यह बात।
सपने सजाए थे बोहोत सारे
साथ मिलकर करेंगे कभी दुनिया हासिल,
पर अब शायद अकेला चलके
बनना पड़ेगा मुझे काबिल।
कभी बातें होती थी हमारी जाग के सारी रात
वो भी तो बोला करता था मुझे अपनी दिल की बात;
नाराज़ हो कर, रोता था पगला,
अगर कभी रिप्लाई करने में देर हो जाती मुझसे,
डरता था कही खो ना जाऊं मैं;
अब तो सिर्फ यादों बनाकर रखा हैं उसे।
करता था मुझे भी बोहोत प्यार
मुझे सिखाया क्या होता हैं प्यार;
मेरा भला बुरा सोचना तो था जैसा उसका काम
पर आज शायद याद भी ना रहा उसे हमारी नाम।
आज भी याद है मुझे वो रात,
जब उसने कहा यह बात;
गलती हो गया उससे की उसने किया मुझसे प्यार
कहा उसने "फ्लो" में हुआ था
यह रिश्ता, जिसे समझा था मैंने प्यार।
जो हो गया है वो हमारी हाथ में नहीं
सच्चा प्यार समझना सबकी बस की बात नहीं,
गलती की थी हमने
बिना सोचे प्यार करने की,
हमने ना सोचा था की,
यह इश्क़ होगी बर्बादी की।