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Varsha Shidore

Romance

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Varsha Shidore

Romance

इश्क़ और समाज...

इश्क़ और समाज...

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कभी कभी लगता है 

ओ पुराना ज़माना सही था शायद 

लड़की तथा औरत को बाहर निकलनेकी 

अनुमती नहीं थी और ना ही किसी से बात 


करनेकी उसके मर्ज़ी से इजाज़त थी 

क्यूँकि आज लड़का लड़की मिलते है 

प्यार, इश्क़, मोहब्बत के गुलाब खिलते है

फिर फिर क्या ? 


जात, पात, धर्म के नाम पे 

कभी समाज की गालियाँ 

तो कभी घरवालोंका ‘ऑनर किलिंग’

बहुत ही बिकट परिस्थिति तथा 

समाज की व्यवस्था है 


जहाँ जीने का हक़ भी छिनना पड़ता है

और मरने का हक़ तो किसी और के 

हाथों में बेवारिश की तरह क़ैद है 

कहते हैं समाज बदल रहा है 

पर बदलाव का पढ़ाव किस मोड़ पे है 

ये समाज कब समझेगा ? 


औरत या लड़की का दर्द बिना सुने ही 

आसुओं में छिप जाता है

ऐसी आज़ादी भी क्या काम की ?

जो ना जीने दे और ना मरने की इजाज़त।


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