नई राह...
नई राह...
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वक़्त के साथ बदल जाता है सब
छूट जाता है अधूरा सा कुछ
कुछ ऐसा ही कहते है ना लोग....
पर बदले हुए रास्ते कभी एक होंगे
किसी अनजान राह पर सब भूला के
अगर चाहोगे फ़िर से मिलना याद में
ये भी तो बता देते ना यार कभी....
तो एक अधूरी सी रही ख़ामोश तमन्ना
नई राह बनके ख़ुदबख़ुद ढूंढ लेती मुझे
