इंतजार
इंतजार
जिंदगी हर पल का इंतजार है, इस पल में भी और आनेवाले पल में भी. जिंदगी सबकुछ पाकर भी इंतजार में कट रही है.
मिलनेवाला हर पल इंतजार लेकर आया है.
सोचने बैठूँ तो लगता है मिलने से पहले सभी चिजो का इंतजार रहता तो है पर उसे पाने
के बाद फिर कुछ नया पाने का इंतजार शुरू
होता है जब तक सत चित आनंद नहीं मिलता
तब तक यह सफर जारी रहता है पर वह
आनंद तो अपने भीतर ही है पर हम उसे
बाहरी चिजो में ढूंढ रहे है हाँ कभी हमने
अपने अंदर झाँका ही नहीं.
जब हम शांत होगे तभी अंदर की आवाज
सुन पायेंगे शायद हमें अनंत की यात्रा
का अनुभव हो जहां हम द्रष्टा बन कर
खुद को समझ पायेंगे और ये भागना सही
की और हो जाये.
पर संसार के दुखो ने ऐसी दोस्ती कर ली है
इंसान से की ना खत्म होनेवाली परेशानियों से
कब छूटकारा मिलेगा बस वही इंतजार करता
रहता है.
यहाँ तो हमारे भगवन राजा श्री राम को
भी उनके घर लोटने के लिये कितने युगों का
इंतजार करना पड़ा जहां सीता माता को
मनुष्य जनम लेकर भी इंतजार खत्म ना
हुआ आखिर धरती माता ने अपनी ममता
की गोद में उन्हें समा लिया इस लिये जब
हम अपनी मां की गोद में होते है तो कुछ
पलो के लिये ही सही हमारा इंतजार विश्राम
लेता है पर ठहरना कहीं नहीं , नित नवीन
इंतजार है.
जिंदगी का दुसरा नाम इंतजार है.
