इन्तहा
इन्तहा
अपनी बैचैनी कैसे दूर करुं ?
दोस्ती और प्यार में किसे कुर्बान करूं ?
दोस्ती निभाने का पहला वक़्त आया है,
प्यार ने हर मोड़ पर सिर्फ दिल दुखाया है,
मगर दर्द मे जो एहसास है , दुआ देती हर आस है।
पर दोस्ती की भी क्या बात है बांटे सारे ग़म,
लगाया गले से जब साथ ना था कोई हम दम,
मेरी छोटी सी खुशी के खातिर
छुपाये अपने सारे ग़म,
पता नहीं फिर क्यों ये दिल उदास है,
शायद दोस्ती की कद्र और
प्यार की उम्मीद की ये इन्तहा है ।