इंद्रधनुष
इंद्रधनुष
दो दिन से आकाश पर
खूब गहरे बादल छाए हुए थे
आज थोड़ी बूंदाबांदी शुरु हुई
फिर रिमझिम बारिश लगातार,
चार बजते बजते
बादलों ने सारा जल
पृथ्वी को अर्पण कर दिया।
बादल बिखरे
सूरज की हल्की नरम
किरणों के साथ ही
आर्क आकार का
सतरंगी इंद्रधनुष
निर्मल आकाश में छा गया
अपनी सुंदरता के जलवे
बिखेरते हुए।
फैलता ही चला गया
एक छोर से दूसरे छोर तक।
मैं मंत्रमुग्ध
उसकी सुंदरता को
कुछ पल निहारती रही।
मन में विचार उठा
काश!
हम भी मन की
अधूरी इच्छाऐँ,
वासनाऐं, सपने,
सारी नकारात्मकता
कहीं उंडेल कर हल्के हो जाते
और आन्तरिक इंद्रधनुष को
स्पष्ट निहार सकते,
जीवन की सुन्दरता का
आन्नद ले सकते।