इम्तिहान लेती जिंदगी
इम्तिहान लेती जिंदगी
जैसे ही कुछ संभलू ,जरा सी खुली साँस लू
बस फिर और कुछ नया लेके आती सामने
कुछ अलग ,कुछ और कठिन जरा
कभी रिश्तों मे उठती सवाल कि तरहा
कुछ भी करलू इंन्हे संजोये रखने के लिऐ
सर्वस्व: अपना भलेही कर दूं अर्पण &
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पर नई कोई चाहत लेके आते है हरपल
कोई पल ऐसा जब बैठे बैठे ही आ जाऐ
मुसीबत डट के सामना करूं उसका ,
खुदि जवाब बनू उसका है ये काबिलियत
ऐ इंमताह भी अब आदत बन गये है
मेरे दामन में अब हौसले बडे हैं।