"इलु हनुमानजी"
"इलु हनुमानजी"
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मन में मूरत बालाजी की
मन में सूरत बालाजी की
ओर मुझे क्या लेना जग से,
मुझे बस जरूरत बालाजी की
सारा जग जाये भाड़ में
मुझे सिर्फ लत बालाजी की
वो जैसा रखे,उसकी मर्जी
मुझे चाहत बालाजी की
ये संसारी क्या दुःखी करे
मुझे हिम्मत बालाजी की
तेरी इबादत करता रहूं
ओर जग में कुछ न करू
मेरी हर हरकत बालाजी की
उठते-बैठते तुझे याद करू
सांसों को जरूरत बालाजी की
मुझे सोहबत बालाजी की
बाकी व्यर्थ है,रिश्ते जग के
आत्मा दासी बालाजी की
मन में मूरत बालाजी की
रुह में तिजारत बालाजी की।