ईश्वर का प्रिय होना
ईश्वर का प्रिय होना
आभासी संसार को
आभासी रहने दो,
वहां दोस्त न खोजो
वहां बस नाम होते हैं।
ईश्वर मेहरबान हो देता हो तो
दोस्त ऐसा लो जो
आपके करीब रहता हो।
जिसके कंधे पर
सर रख आप रो सके
जो एक अनकही आह पर भी
हो आपके सामने।
जो झाँक ले आपके मन के अंधेरे में,
पूछे आपसे बेतकल्लुफी से
बात क्या है ?
कुछ हुआ है क्या ?
उनसे उम्मीद न करो जो कहे,
एक कॉल की दूरी पर हूँ,
ये कतई नहीं होते तब
जब जरूरत होती है।
परिवार के अलावा
कोई हो जो ऐसा तो तुम
ईश्वर के प्रिय हो
यह जानो।