ईश्क और मुश्त
ईश्क और मुश्त
मुन्तजिर हो कर कभी इंतजार भी कर सकते हो।
आपका क्या है, आप वादा करके मुकर भी सकते हो ।।
जेवरात की चमक मे अंधे मत हो जाना।
आप मिरी नज़रों से भी संवर सकते हो ।।
हमने कब कहा कि मेरी दहलीज़ पर दस्तक दो।
भूलकर कभी मेरे गाँव से भी गुज़र सकते हो ।।
चल कर थक जाओ तो डरना मत।
पुराने टूटे दरख्त के नीचे भी ठहर सकते हो ।।
तुम आईने हो कर पत्थर से दिल लगा रहे हो।
तुमको खबर भी है टूट कर बिखर भी सकते हो ।।
तुम्हारे नाम का वास्ता देकर मुझे क्यूँ सताते है।
दुनिया वालों तुम कभी सुधर भी सकते हो ।।
बंदिशें तो ताउम्र रहेंगी आती जाती दुनिया की।
होकर पतंग खुली हवा मे तुम लहर भी सकते हो ।।
क्या एतबार करे इन झूठी साँसों का।
कल का वादा है मिलने का, आज शाम तुम मर भी सकते हो ।।