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Yash Sharma

Romance

4.0  

Yash Sharma

Romance

इबादत

इबादत

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रोज़ करता हूँ इबादत,

एक तुझे ही मांगता हूँ मन्नत में,

मैं जानता हूँ ख़ुदा है,

थोड़ी सी जगह मिल जाए तेरी जन्नत में..!!!


तेरी चाहत है अब इस दिल को,

तुझे पाने की हसरत है इस दिल को,

तेरा हो जाऊ में,

एक आदत सी जाये तू इस दिल को...!!!


गुज़रते नहीं पल अब मेरे,

छायी है तू ही ख़यालो में,

छुना चाहु तुझे,

पर उलझा है मन कुछ सवालों में...!!!

 

कबूल हो जाए ये दुआ मेरी,

सिला मिल जाए इबादत का मेरी,

मांगू तो मांगू एक तमन्ना,

के हो जाए मोहब्बत तेरी...!!!


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