हवस के पुजारी
हवस के पुजारी
हवस के पुजारियों
इंसानियत का
कर दिया है बुरा हाल
स्त्री जाति कराह रही है
तुम्हारे अत्याचार से
मानवता शर्मशार है
तुम्हारे व्यवहार से
उम्मीदों का जलता दीप
बुझा कर जश्न मानते हो
इंसान तो नहीं हो,
पशुता की मोहर लगाते हो
हवस के पुजारियों
इंसानियत का
कर दिया है बुरा हाल
स्त्री जाति कराह रही है
तुम्हारे अत्याचार से
मानवता शर्मशार है
तुम्हारे व्यवहार से
उम्मीदों का जलता दीप
बुझा कर जश्न मानते हो
इंसान तो नहीं हो,
पशुता की मोहर लगाते हो