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Rahul Yadav

Others

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Rahul Yadav

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इत्तेफ़ाक से

इत्तेफ़ाक से

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जिसे ना थी मेरे प्यार की कदर  

इत्तेफ़ाक से उसी को चाह

रहे थे हम

ना मंज़िल थी ना कोई मुकाम था  

गुमनामी की रहो पर बेपरवाह

जा रहे थे हम


फरेबी था बेवफ़ाई थी जिसके

ज़हन में

उसी की चाहत में दिल में

सुलगती आग आँसुओं से

बुझा रहे थे हम


जो था मुहब्बत की रौशनी

से बेखबर

उन्ही की इबादत में जज्बातों की

समां जला रहे थे हम

मिटा दी जिसने मेरे आरजू की तस्वीर  

उसी फरेबी को दिल की

दुकान में सजा रहे थे हम


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